Prostate Disease: प्रोस्टेट रोग एक सामान्य शब्द मात्र नहीं है, यह एक ऐसा रोग है जिसमें मरीज धीरे धीरे मौत के पास पहुँच जाता है एवं उसे पता भी नहीं चलता है,
जिसका उपयोग से कई प्रकार की चिकित्सा स्थितियों के बारे में बताया जाता है, जो प्रोस्टेट ग्रंथि को प्रभावित कर सकती हैं।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे, प्रोस्टेट की बिमारी क्या है, इसके लक्षण क्या है, इसके ईलाज के तरीके कौन-कौन से है, इसमें क्या-क्या सावधानियाँ बरती जानी चाहिए।
What is Prostate (प्रोस्टेट ग्रंथि क्या है?)
प्रोस्टेट एक छोटी ग्रंथि को कहा जाता है, जो सिर्फ पुरुषों में पाई जाती है। यह मानव शरीर में उसके लिंग और मूत्राशय के बीच में स्थित होती है, जो मूत्रमार्ग (नलिका जो मूत्राशय से लिंग तक मूत्र को लेकर जाती है) को घेरे रखती है।
प्रोस्टेट ग्रंथि, पुरुषों में वीर्य (एक द्रव जो स्खलन के दौरान शुक्राणुओं को ले जाता है) के उत्पादन में भी मददगार होती है। यह पुरुषों में गाढ़े सफेद तरल पदार्थ का उत्पादन करती है, जिसे प्रोस्टेट- स्पेसिफिक एंटीजन (prostate-specific antigen PSA, पीएसए) नामक एक खास प्रोटीन द्वारा तरल बनाया जाता है। यह तरल पदार्थ हमारे अंडकोष द्वारा बनने वाले शुक्राणु के साथ मिलकर वीर्य बन जाता है।
What is Prostate Disease (प्रोस्टेट की बीमारी क्या है?)
ऐसी कई परिस्थितियां होती हैं , जो हमारी प्रोस्टेट ग्रंथि को प्रभावित कर सकती हैं , जिसे प्रोस्टेट की बीमारी कहा जाता है इसमें शामिल हैं:
- प्रोस्टेट का बढ़ना
- प्रोस्टेट ग्रंथि का सूजन (प्रोस्टेटाइटिस)
- प्रोस्टेट कैंसर
- नीचे इन स्थितियों का विस्तृत सार है।
प्रोस्टेट का बढ़ना
प्रोस्टेट का बढ़ना बढ़ती उम्र से जुड़ी एक सामान्य सी स्थिति है। 50 वर्ष से ज्यादा आयु के लगभग हर तीसरे आदमी में प्रोस्टेट के बढ़ने संबंधी लक्षण दिख सकते हैं।
मूत्रमार्ग एक नली होती है, जो मूत्राशय से प्रोस्टेट के माध्यम से लिंग के अंत तक जाती है। जब कोई आदमी पेशाब करता है, तो शरीर से पेशाब इसी मूत्रमार्ग के माध्यम से बहता हुआ बाहर आता है। अगर प्रोस्टेट बढ़ जाती है तो यह मूत्रमार्ग पर दबाव डालती है, जिससे मूत्राशय को खाली करने में परेशानी होती है।
बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि, ऐसे लक्षणों का कारण बन सकती है, जिसमें पेशाब को सामान्य तरीके से शरीर से बाहर निकालने में परेशानी कहा जाता है।
उदाहरण के लिए:
- जब पेशाब करने की शुरुआत करेंगे तो काफी मुश्किल से शुरुआत होगी.
- इससे पेशाब करने के प्रवाह कमजोर हो सकती है और शुरू करने और रोकने की स्थिति भी प्रभावित हो सकती है
- पेशाब करने में ज़्यादा ज़ोर लगाना पड़ सकता है.
- बार-बार पेशाब भी करना पड़ सकता है
- रात में पेशाब करने के लिए इच्छा होने पर आप बार बार उठ सकते हैं
- प्रोस्टेट बढ़ने की स्थिति में, एक आसान उपचार यह है कि आप बिस्तर पर जाने से पहले, जितना पानी पहले पिया करते थे, उससे कम ही पानी पिएं।
हालांकि, अल्फा ब्लॉकर्स (alpha blockers) जैसी कुछ होमियोपैथिक दवाएं हैं, जो प्रोस्टेट ग्रंथि की मांसपेशियों को आराम देने या उसके आकार को कम करने में मददगार साबित हो सकती हैं, लेकिन इसपर पूरी तरह निर्भर होना ठीक नहीं होगा, जिससे कि पेशाब करना आसान हो जाता है।
ऐसे गंभीर मामलों भी है, जहां यह दवा असरदार साबित नहीं होती, वहां प्रोस्टेट ग्रंथि का आंतरिक भाग, जो मूत्रमार्ग के लिए बाधक बनने लग जाता है, जिसे सर्जरी करके हटाया जा सकता है।
प्रोस्टेट ग्रंथि का सूजन (Prostatitis)
मेडिकल साईंस में प्रोस्टेटाइटिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि सूज (जैसेः लाल और फूली हुई) जाती है. ऐसे तो हमेशा, सूजन किसी संक्रमण की प्रतिक्रिया के रूप में होती है। लेकिन प्रोस्टेटाइटिस के अधिकांश अवस्था में संक्रमण का कोई सबूत नहीं पाया जाता।
प्रोस्टेटाइटिस के लक्षणों में शामिल हैं:
- पेडू में दर्द
अंडकोष में दर्द - पेशाब करते समय दर्द का होना (यह असमान्य सा होता है और मूत्रमार्ग के संक्रमण के साथ तो ज्यादा ही होता है)।
- वीर्य के स्खलन होने पर दर्द
- पेरिनेम (अंडकोष की थैली और एनस या गुदा के बीच का भाग) में दर्द का होना , जो अक्सर सख्त कुर्सी या साइकिल की सीट पर बैठने से होता है, इससे और दर्द बढ़ जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि औसतन 20 में से 3 लोगों (यानि 15 फीसदी) को अपने जीवनकाल में प्रोस्टेटाइटिस एक समय पर जरूर प्रभावित करने की कोशिश करता है। हालांकि यह किसी भी आयु वर्ग के पुरुषों को प्रभावित कर सकता है परन्तु 30 से 50 वर्ष की आयु वर्ग के पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करता है ।
- प्रोस्टेटाइटिस का इलाज दर्द निवारक और एक तरह की दवाओं के संयोजन के किया जा सकता है । इसे अल्फा-ब्लॉकर के रूप में जाना जाता है. लेकिन दवाओं का यह संयोजन लक्षणों को दूर करने में मददगार साबित हो ऐसा हमेशा नहीं होता है, इसके लिए सर्जरी ही बेहतर ईलाज होता है।
प्रोस्टेट कैंसर
- प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाले सबसे आम कैंसर में से एक है। हर वर्ष बहुत ही बड़ी संख्या में इससे ग्रसित लोगों की पहचान तो हो जाती है. परन्तु उसमें सी कुछ ही लोगों की जान बच पाती है.
- किसी भी पुरुष में प्रोस्टेट कैंसर विकसित होने का खतरा, उसकी बढ़ती उम्र के साथ होने की संभावना होती है। लेकिन इसके अधिकांश मामले पुरुष की उम्र जब 50 साल से ज्यादा होती है, तो होनी की संभावना होती हैं।
- प्रोस्टेट कैंसर के विशेष कारणों के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन जो समान्य कारण है उसमें उम्र, जातीय मूल और पारिवारिक इतिहास यानि कि जिनेटिक्स, इसके होने के कारकों में शामिल हैं।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण प्रोस्टेट बढ़ने के तरह ही होते हैं, इसमें शामिल हैं:-
- बार बार पेशाब के आने की परेशानी को महसूस करना। (अधिकतर रात के समय में)
- शौचालय जाने की जरूरत तो महसूस होना, लेकिन पेशाब करने में कठिनाई (संकोच)
- पेशाब के शुरू करने के लिए या पेशाब करते वक्त, काफी देर तक खड़े रहना पर ही इत्मिनान होना
- पेशाब के प्रवाह का कमजोर होना
- ऐसा महसूस होना की अभी आपका मूत्राशय की थैली पूरी तरह से खाली नहीं हुआ है
- प्रोस्टेट कैंसर की खतरनाक होना अन्य कैंसर की तुलना में सामान्यतः धीरे धीरे है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई दूसरे कैंसरों की तुलना में यह धीरे–धीरे बढ़ता है। कई पुरुष, प्रोस्टेट कैंसर को साथ लेकर ही मरते है बजाय इसके कि वो इसके लक्षण की जानकारी के बाद ईलाज के दौरान मरें।
अगर प्रोस्टेट कैंसर का इलाज सही समय पर शुरू कर दिया जाए तो इसके ठीक होने की संभावना थोड़ा सा रहता भी है। इसके उपचार में कुछ तरीके हैं:
- प्रोस्टेट ग्रंथि को काट कर हटाने के लिए सर्जरी
- रेडियोथेरेपी – शरीर में मौजूद कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए विकिरण का उपयोग किया जाना ।
- हार्मोन थेरेपी – टेस्टोस्ट्रोन के प्रभाव को रोकने के लिए दवा का उपयोग करना। (यह वह हार्मोंन होते है जो प्रोस्टेट कैंसर को बढ़ने के लिए उत्तेजित करता है।)
इन उपचारों के साथ कुछ अन्य मुख्य दुष्प्रभाव भी सामने आने का खतरा जीवन में बना रहता है, जैसे:
- कामेच्छा में कमी होना,
- लिंग में तनाव बनाए रखने में असमर्थता का होना,
- मूत्र असंयम (मूत्राशय पर नियंत्रण काम हो जाना)
- इन कारणों के चलते तो कई लोग इस बिमारी का ईलाज काफी देरी से करवाने का फैसला लेते हैं। वह इलाज तब करवाते हैं, जब कैंसर के फैलने के कारण परेशानी बर्दास्त से बाहर हो जाता है.
अगर, कैंसर प्रोस्टेट ग्रंथि से शरीर के दूसरे अंगों तक में फैल जाय (यह अवस्था मेटास्टेसिस के रूप में जानी जाती है) तो अक्सर कैंसर से बचाव संभव नहीं हो पाता है। ऐसे मामलों में उपचार का लक्ष्य केवल लक्षणों से राहत देना और जीवनकाल को बढ़ाना ही रह जाता है।
Conclusion
आशा करते है इस पोस्ट में दी गयी जानकारी से आप सचेत हो पाये. लेकिन यदि इस पोस्ट के पढ़ने के समय आप इस बिमारी से बाहर है तो अच्छी बात है
लेकिन यदि आप ग्रसित है तो कई ऐसे मामले देखेने के बाद यह कहना सही होगा कि आप सर्जरी करवा लें, क्योंकि इससे आपकी उम्र लगभग 20 वर्ष बढ़ जाएगी.
इस पोस्ट को लिखने का उद्देश्य यही है कि किसी भी मरीज की जान ना जा सके, क्योंकि इसमें समय रहते ही ईलाज कराना श्रेयस्कर होता है, यदि संक्रमण लग जाता है तो फिर धीरे धीरे मौत के करीब मरीज पहुंच जाता है,
क्योंकि ऐसी ही परिस्थिति में मेरे पिता जी की मृत्यु हो गयी है, इसीलिए लोगों की जान बचाने के मिशन से ही यह पोस्ट लिखा जा रहा है।