Nikhat Zareen: निखत ज़रीन, भारतीय महिला बॉक्सर हैं जिन्होंने अपने जुनून, परिश्रम और दृढ़ इच्छाशक्ति से दुनिया के सामने अपनी मुकाबले करने का संदेश दिया है। वह एक जुनूनी खिलाड़ी हैं जिन्होंने बॉक्सिंग में अपना नाम रोशन किया है। इस बात का सबूत है कि उन्होंने दो बार विश्व युवा चैंपियनशिप में भारत को प्रतिनिधित्व करते हुए सफलता हासिल की है। निखत ज़रीन की बाइओग्राफी में उनके सफलता के पीछे की कहानी बहुत ही रोमांचक और प्रेरक है।
Nikhat Zareen Biography Overview
नाम | निकहत जरीन |
जन्म तिथि | 14 जून 1996 |
जन्म स्थान | निजामाबाद, आंध्र प्रदेश अब तेलांगाना |
पिता का नाम | मो0 जमील अहमद |
माता का नाम | परवीन सुलताना |
वजन | 51 कि0 |
पेशा | बॉक्सिंग |
स्वर्ण पदक | 2022, इस्तानबुल2022, बीरमिघम2023, न्यू दिल्ली |
Personal life
निखत ज़रीन एक भारतीय महिला बॉक्सर हैं, जो अपनी महत्वपूर्ण योगदान से इस क्षेत्र में उभरी हैं। वह अंडर-17 बॉक्सिंग चैंपियन भी हैं।
निकहत जरीन का जन्म दिनांक-14 जून 1996 को मो0 जमील अहमद के यहाँ आंध्र प्रदेश के निजामाबाद शहर में जोकि अब तेलगांना के नाम से जाना जाता है हुआ था.
इनकी माता का नाम परवीन सुलताना है। इनकी प्राईमरी शिक्षा निजामाबाद के निर्मला हृदय बालिका उच्च विद्यालय से हुआ है। इनके बी0 ए0 की पढ़ाई ए.भी कॉलेज जोकि हैदराबाद ,तेलगांना से हो रही है।
निकहत जरीन वर्ष 2001 से बैक ऑफ इण्डिया जोनल ऑफिस ए.सी गार्डस, हैदराबाद के स्टॉफ ऑफिसर Appointed है।
Career
भारत की पहली महिला बॉक्सर जो ओलंपिक में प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनी गई
स्पोर्ट्स में महिलाओं की भूमिका भारत में बदलती जा रही है। आज कल देश में महिला खिलाड़ियों को भी ज्यादा सम्मान दिया जा रहा है। उनमें से एक महिला बॉक्सर हैं जो देश को अंतरराष्ट्रीय मानक पर उत्तम प्रतिनिधित्व प्रदान कर रही हैं। उनका नाम है निखत ज़रीन। उन्होंने भारत की पहली महिला बॉक्सर बनकर देश को गौरवान्वित किया है।
जब मोहम्मद जमील अहमद ने अपनी बेटी ज़रीन को बॉक्सिंग सिखाई तो उसने उसको एक साल तक प्रशिक्षित किया। निखत को 2009 में द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता, आईवी राव के नेतृत्व में विशाखापत्तनम के भारतीय खेल प्राधिकरण में शामिल किया गया। एक साल बाद, वह 2010 में ईरोड नेशनल में ‘गोल्डन बॉक्सर’ के रूप में घोषित की गई।
Conclusion
निखत ज़रीन अभी माता-पिता के साथ हैं और अपने शौक को पूरा करने में लगे हुए हैं। उन्हें बॉक्सिंग में रुचि पहले से ही थी। जब वे छोटी थीं, उन्हें देखकर उनके पिता ने उन्हें बॉक्सिंग की तालिम देना शुरू की। उन्होंने बॉक्सिंग में इतनी महारत हासिल की कि वे बाद में इसमें काफी सफल हो गईं।